श्री एकलिंग जी और उनके दीवान
प्रभु श्री एकलिंग जी मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम मेवाड़ नरेश बाप्पा रावल ने करवाया था। बाद में मुसलमानों के हमलों में टुट जाने के कारण महाराणा मोकल ने मरम्मत करवा कर चारो और पर कोटा बनवाया। वर्तमान मंदिर का निर्माण और चतुर्मुखी भव्य मूर्ति की प्रतिष्ठा महाराणा रायमल ने की थी। एकलिंग जी की मूर्ति चौमुखी है।
हर हर महादेव जय एकलिंग नाथ
जिसमे पूर्व का मुख सूर्य भगवान का, पश्चिम में मुख भगवान् विष्णु का, उत्तर में मुख ब्रह्मा जी का और दक्षिण में रूद्र (भगवान शिव) का मुख मानकर पूजा की जाती है। मुख्य मंदिर के पीछे पातालेश्वर महादेव का वह ऐतिहासिक मंदिर है जहाँ प्रसिद्ध ज्योतिर्लिग स्वेच्छा से पाताल मार्ग से आकर प्रकट हुआ था और जहाँ पर बाप्पा रावल ने गाय को अपने आप स्वयंभू शिवलिंग पर दूध गिराते देखा था।हर हर महादेव जय एकलिंग नाथ
बाप्पा रावल अपने बचपन में हारित ऋषि के सेवा में रहकर श्री एकलिंग जी की पूजा किया करते थे। तभी से गुहिलवंशियो (गुहिलोतो, सीसोदियो) के ऋषि हारित और इष्टदेव श्री एकलिंग माने जाने लगे।
एकलिंग जी के दीवान
उदयपुर (मेवाड़) राज्य के स्वामी प्रभु श्री एकलिंग जी और मेवाड़ के महाराणा उनके दीवाना माने जाते है। इसी से मेवाड़ के महाराणा दीवान कहलाते है।
श्री एकलिंग जी मंदिर का मुख्य द्वार